भारत में गुड़ को कई नामों से जाना जाता है। इसे हिंदी में "गुर" तेलुगु में "बेलाम" मराठी में "गुल" तमिल में "वेल्लम" मलयालम में "शकर" और कन्नड़ में "बेला" कहा जाता है। यह चीनी का अपरिष्कृत रूप है, जोकि गन्ने के रस को पकाकर बनाया जाता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट की अधिकता होती है। इसके साथ ही इसमें कैल्शियम, प्रोटीन, आयरन, फॉस्फोरस, विटामिन-बी और सुक्रोज पाए जाते हैं जो सेहत के लिए फायदेमंद होता है। भारत के भिन्न-भिन्न हिस्सों में इसे भिन्न-भिन्न रूपों में प्रयोग जाता है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी लोगों को चीनी की जगह गुड़ खाने की सलाह देते थें। इस बारे में उनका कहना था कि चीनी रक्त में बड़ी जल्दी घुल जाती है, लेकिन गुड़ रक्त में घुलता नहीं है। इसलिए डायबिटीज़ के मरीज भी गुड़ को खा सकते हैं। आइए गुड़ खाने के फायदे जानते हैं।
पाचन तंत्र मजबूत करता है-
जब कभी आप हैवी डाइट लेते हैं तो डायजेशन के लिए गुड़ जरूर खाएं। अगर आपको कभी अपच की समस्या हो जाए, तो ऐसी परिस्थिति में भी गुड़ का सेवन फायदेमंद होता है। ये शरीर में पाचन एंजाइमों और पेट में एसिटिक एसिड को एक्टिव करने में सफल होता है। जिससे आपका पाचन तंत्र मजबूत होता है।
रक्त को करता है साफ़-
गुड़ को क्लींजिंग एजेंट भी कहा जाता है क्योंकि यह श्वसन तंत्र, फेफड़े, भोजन नली, पेट और आंतों को प्यूरीफाई करता है। इसके सेवन से रक्त संचार भी सुचारु रूप से होता है।
पाचन तंत्र मजबूत करता है-
जब कभी आप हैवी डाइट लेते हैं तो डायजेशन के लिए गुड़ जरूर खाएं। अगर आपको कभी अपच की समस्या हो जाए, तो ऐसी परिस्थिति में भी गुड़ का सेवन फायदेमंद होता है। ये शरीर में पाचन एंजाइमों और पेट में एसिटिक एसिड को एक्टिव करने में सफल होता है। जिससे आपका पाचन तंत्र मजबूत होता है।
रक्त को करता है साफ़-
गुड़ को क्लींजिंग एजेंट भी कहा जाता है क्योंकि यह श्वसन तंत्र, फेफड़े, भोजन नली, पेट और आंतों को प्यूरीफाई करता है। इसके सेवन से रक्त संचार भी सुचारु रूप से होता है।
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