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बवासीर से परेशान है तो और इसे जड़ खत्म करना है चाहते है तो एक बार जरूर पढ़े...

पाइल्स यानी बवासीर एक ऐसी बीमारी है जिसमें ठीक से बैठना भी मुश्किल हो जाता है। मेडिकल भाषा
 में इसे हेमरॉइड्स कहा जाता है। इस बीमारी के होने के बाद में गुदा (ऐनस) के अंदरूनी और बाहरी क्षेत्र और 
मलाशय (रेक्टम) के निचले हिस्से की शिराओं में सूजन आ जाती है। इसकी वजह से ऐनस के अंदर 
और बाहर या किसी एक जगह मस्से जैसी स्थिति बन जाती है, जो कभी अंदर रहते हैं और कभी बाहर भी
 आ जाते हैं।
बवासीर दो अलग-अलग तरह की होती है-खूनी बवासीर और बादी बवासीर। खूनी बवासीर (पाइल्स) में खून आता रहता है,लेकिन दर्द नहीं होता। जबकि बादी बवासीर में पेट में कब्ज बन जाती है और पेट हमेशा ही खराब 
रहता है जिससे यह दर्द करने लग जाते है । पहले यह बीमारी 45 साल से 65 साल के लोगों में होना काफी आम 
बात थी लेकिन आज कल के खानपान की वजह से यह बीमारी 15 के युवाओ को भी होना चालू हो गया  है.
बवासीर ज्यादा तेल वाली चीजे एवं ज्यादा चटपटी मसालेदार एवं समय पर पेट साफ़ ना होने के कारण यह बिमारी 
होने की समस्या देखी गयी है.
बवासीर को रोकने एवं उसको ठीक करने के कुछ घरेलू उपाय आज में आप को बताऊंगा जिसे अपना कर आप इसे 
रोक सकते है.
-एलो वेरा में कई समस्याओं का इलाज छिपा है। यह सिर्फ स्किन को सॉफ्ट और स्पॉटलेस बनाने के लिए ही
 इस्तेमाल नहीं किया जाता बल्कि पाइल्स की बीमारी में भी यह काफी फायदेमंद रहता है एवं आराम देता है।
 हालांकि पाइल्स के लिए ताजे एलोवेरा जैल यानी एलो वेरा की पत्ती से तुरंत निकाला गया जैल का उपयोग 
करना चाहिए। इस जैल को पाइल्स वाले हिस्से में बाहर की तरफ लगाएं। दिन में कम काम  से 2-3 बार इस 
जैल को लगाएं ऐसा करने से आप को बहुत ज्यादा फ़ायदा मिलेगा ।

(ध्यान दे -कुछ लोगों को एलो वेरा से एलर्जी होती है। ऐसे लोग एलो वेरा का इस्तेमाल डॉक्टर से पूछकर करें।
 नहीं तो स्किन के किसी हिस्से पर लगाकर देख लें कि कहीं दर्द या झनझनाहट तो नहीं हो रही। अगर ऐसा
 नहीं होता है तो फिर एलो वेरा को पाइल्स के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।)

-रोजाना भरपूर मात्रा में पानी और अन्य तरल पदार्थ पिएं।
-फाइबर से भरपूर खाना खाएं। फाइबर हमारे पाचन सिस्टम के लिए बेहद जरूरी होता है और 
इसके अलावा 
फाइबर मल को भी सॉफ्ट बनाने में हेल्प करते हैं ताकि वह आसानी से शरीर से बाहर निकल पाए।
-हल्के और ढीले-ढाले कपड़े पहनें और प्राइवेट हिस्से की नियमित रूप से सफाई करें जिससे आप इस बिमारी से काफी हद तक सूरक्षित रह सके।

 दवाई के जरिए भी पाइल्स का इलाज कर के ठीक किया जा सकता है लेकिन वह भी तब जब पाइल्स स्टेज 1 या 2 का हो।ऐसे में सर्जरी की जरूरत नहीं होती। एनोवेट और फकटू पाइल्स पर लगाने की दवाएं उपलब्ध हैं। इनमें से कोई 
एक दवा दिन में तीन बार पाइल्स पर लगाई जा सकती है। इन दवाओं को डॉक्टर से पूछकर ही लगाना चाहिए।

-अगर मस्से थोड़े बड़े हैं तो रबर बैंड लीगेशन का प्रयोग किया जाता है। इसमें मस्सों की जड़ पर एक या दो
 रबर बैंड को बांध दिया जाता है, जिससे उनमें होने वाला खून का प्रवाह रुक जाता है। इसमें डॉक्टर एनस के 
भीतर एक डिवाइस डालते हैं और उसकी मदद से रबर बैंड को मस्सों की जड़ में बांध दिया जाता है। इसके
 बाद एक हफ्ते के समय में ये पाइल्स के मस्से सूखकर खत्म हो जाते हैं।
 इस तरीके का इस्तेमाल तभी किया जाता है जब मस्से छोटे होते हैं।इसमें मरीज को एक इंजेक्शन दिया जाता है।
 इससे मस्से सिकुड़ जाते हैं और उसके बाद धीरे-धीरे शरीर के द्वारा ही इनको ऑब्जर्ब कर लिए जाते हैं।
 अगर मस्से बाहर आकर लटक रहे हैं तो ऐसी समस्या में इस तरीके का इस्तेमाल नहीं किया जाता।

-मस्से अगर बहुत बड़े हैं और बाकी  दूसरे तरीके फेल हो चुके हैं तो हेमरॉयरडक्टमी की प्रक्रिया अपनाई जाती है। यह सर्जरी का परंपरागत तरीका है। इसमें अंदर के या बाहर के मस्सों को काटकर निकाल दिया जाता है,जिससे यह पूरी तरह खत्म हो जाते है.स्टेज 3 या 4 के पाइल्स के लिए ही इस तरीके का इस्तेमाल किया जाता है। बाहर निकले हुए 
मस्से को एक सर्जिकल स्टेपल के जरिये वापस अंदर की ओर भेज दिया जाता है और ब्लड सप्लाई को रोक दिया जाता है जिससे इनकी जड़े सिकुड़ जाती  हैं और बॉडी उन्हें अब्जॉर्ब कर लेती है।

 यह सब प्रकिया चिकित्सक की देख रेख में की जाती है कृपया इसे घर पर ना आजमाए 

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